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पृष्ठभूमि

प्लास्टिक चुनौती की पृष्ठभूमि

यह प्लास्टिक चुनौती 'प्लास्टिक टाइड टर्नर चैलेंज’ पर आधारित है जिसे मूल रूप से वर्ल्ड ऑर्गनाइज़ेशन ऑफ़ स्काउट मूवमेंट और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के द्वारा बनाया गया है। इस चैलेंज में हिस्सा लेने के लिए संकल्प पत्र पर हस्ताक्षर करें, और घर और समुदाय पर आधारित गतिविधियों को पूरा करें।

प्लास्टिक से होने वाला प्रदूषण क्यों मायने रखता है?

प्लास्टिक हमारी धरती को किस तरह प्रभावित करता है - जानने और समझने के लिए आगे पढ़ें। इस लेख के अंत तक आप उन छह तरीक़ों के बारे में जान जाएंगे जिससे प्लास्टिक हमारी धरती को नुक़सान पहुंचाता है, उसके बाद आप प्लास्टिक चैलेंज गतिविधियों में शामिल होने के लिए तैयार हो जाएंगे!

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6 तरीक़े जिससे प्लास्टिक धरती को नुक़सान पहुंचाता है:

  1. हमारे समुद्री दोस्तों (जीवों) को नुक़सान पहुंचाना: कई समुद्री जानवर प्लास्टिक की वस्तुओं को निगल जाते हैं या उनमें फंस जाते हैं और नतीजा ये होता है कि कई बार उनकी मौत हो जाती है। 1,100 करोड़ से ज़्यादा प्लास्टिक की वस्तुएं प्रवाल भित्तियों (समुद्र के भीतर स्थित चट्टान जो प्रवालों द्वारा छोड़े गए कैल्शियम कार्बोनेट से बनती हैं) में फंसी हुई हैं, जिसकी वजह से उनकी ऑक्सीजन और रोशनी रुकी हुई है और साथ ही साथ हानिकारक रसायन भी निकल रहे हैं।
  2. हमारी मिट्टी को नुक़सान पहुंचाना: प्लास्टिक ज़मीन पर भी अपना असर छोड़ता है। ‘लैंडफिल’ या कचरे के पहाड़ से निकला प्लास्टिक, मिट्टी और पानी में ज़हरीले पदार्थ छोड़ता है - जो मिट्टी, पौधों और मिट्टी में पलनेवाले केंचुए जैसे जीवों के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, जो कि पारिस्थितिकी तंत्र के लिए बेहद ज़रूरी हैं। मिट्टी में प्रवेश कर प्लास्टिक हमारे द्वारा खाई जाने वाली फसलों के माध्यम से हम तक अपनी वापसी का रास्ता बना लेता है। यहां तक कि गायें भी प्लास्टिक के थैले खा जाती हैं। नैरोबी के मवेशी फ़ार्म्स में एक-एक गाय के पेट के अंदर 20 प्लास्टिक थैले तक पाए गए हैं। यह न तो गायों के लिए सही है और न ही गोमांस खाने वालों या गाय का दूध पीने वालों के लिए।
  3. जलवायु परिवर्तन में योगदान: हां, जलवायु परिवर्तन के पीछे भी प्लास्टिक है। प्लास्टिक का निर्माण पेट्रोलियम से होता है और प्लास्टिक उत्पादों के निर्माण में दुनिया के तेल उत्पादन का लगभग 8 फ़ीसदी तेल इस्तेमाल होता है। 2050 तक इस आंकड़े के 20 फ़ीसदी तक बढ़ने का अनुमान है। तेल के लिए ज़मीन की खुदाई और फिर इससे प्लास्टिक बनाने की प्रक्रिया में पर्यावरण में ग्रीनहाउस गैसें निकलती हैं, जिसकी वजह से भूमंडलीय ऊष्मीकरण या ग्लोबल वॉर्मिंग होती है। इस तरह जलवायु परिवर्तन में प्लास्टिक बड़ी भूमिका निभाता है। और यहां तक कि समंदर के पानी और सूर्य की रोशनी में बैठे होने पर भी प्लास्टिक ग्रीनहाउस गैस छोड़ता है।
  4. बाढ़ का कारण बनता है: क्या आप जानते हैं कि प्लास्टिक के कचरों की वजह से शहर में बाढ़ आ सकती है? दरअसल, बात ये है कि प्लास्टिक नली-नालों और पानी के दूसरे रास्तों को जाम कर देता है और भारत और बांग्लादेश जैसे कई देशों में शहरी क्षेत्रों में ये बाढ़ का सबसे बड़ा कारण है।
  5. हमें बीमार करता है: प्लास्टिक की थैलियां जब मलजल प्रणाली या सीवेज सिस्टम का रास्ता रोक देती हैं तब नतीजतन पानी एक जगह पर जमा हो जाता है और जमे हुए पानी में मच्छर और दूसरे नुक़सान पहुंचाने वाले कीड़े आसानी से पनपते हैं। यह स्थिति मलेरिया और दूसरे वेक्टर (ऐसा रोगवाही जीवाणु जो बीमारी को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संक्रमित कर सकता है) जनित बीमारियों के फैलने का कारण बन सकती है।
  6. साफ़-सफ़ाई करना महंगा: हम हर साल कचरा हटाने, अपनी सड़कों और पार्कों की सफ़ाई में अरबों रुपये ख़र्च कर देते हैं। प्लास्टिक दूसरे तरीक़ों से भी हमारी अर्थव्यवस्था को प्रभावित करता है, उदाहरण के लिए पर्यटन को हतोत्साहित कर। प्लास्टिक के कचरे से भरी जगहों पर भला कौन जाना चाहता है?
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